Polala Amavasya 2025: पोला अमावस्या सिर्फ छत्तीसगढ़ ही नहीं बल्कि पूरे मध्यभारत और दक्षिण भारत में बड़े उत्साह से मनाई जाती है. यह बैलों की पूजा और ग्रामीण जीवन का सबसे बड़ा त्योहार माना जाता है. हर राज्य में इसे अलग नाम और अलग परंपराओं के साथ मनाया जाता है. यह त्योहार कृषि संस्कृति, पशुप्रेम और पर्यावरणीय संतुलन की सीख देता है. बैलों को सम्मान देने से नई पीढ़ी भी खेती-बाड़ी की अहमियत समझती है.
राज्यों की परंपराएँ आज भी कायम (Polala Amavasya 2025)
छत्तीसगढ़ – पोला तिहार / बइला पूजा: बैलों को नहलाकर सजाया जाता है, सींगों पर रंग चढ़ाया जाता है. बच्चे मिट्टी के बैलों की पूजा करते हैं. गाँव-गाँव में जुलूस और बैल सजावट प्रतियोगिता होती है.
महाराष्ट्र – बैल पोला: किसान बैलों को हल और खेत के औजारों के साथ पूजते हैं. बैल सजाकर गाँव में घुमाए जाते हैं. महिलाएँ घर में पुरणपोळी और मिठाइयाँ बनाती हैं.
मध्यप्रदेश – पोला: यहाँ भी बैल पूजा प्रमुख है. ग्रामीण इलाके में मेला और सांस्कृतिक आयोजन होते हैं. बच्चे लकड़ी के बैलों की पूजा करते हैं.
तेलंगाना और आंध्रप्रदेश – पोला पंडुगा: बैलों के अलावा हल, गाड़ी और अन्य खेती के उपकरणों की भी पूजा की जाती है. पारंपरिक व्यंजन पोंगल और मिठाइयाँ बनती हैं.
इस दिन बनाए जाने वाले व्यंजन (Polala Amavasya 2025)
- छत्तीसगढ़: खुरमी, ठेठरी, बोरेबासी, खीर-पूरी
- महाराष्ट्र: पुरणपोळी, शेंगदाणा लड्डू
- मध्यप्रदेश: ठेठरी-खुरमी, खीर-पकवान
- तेलंगाना-आंध्र: पोंगल और पारंपरिक मिठाइयां