01 Dec 2025 कोरबा: पूर्व मंत्री जयसिंह अग्रवाल ने प्रधानमंत्री को लिखे पत्र में कोरबा स्थित भारत एल्यूमिनियम कंपनी (बालको) में जारी अवैध, मनमानी और जालसाजीपूर्ण गतिविधियों पर गंभीर चिंता व्यक्त की है। उन्होंने कहा कि बालको में भारत सरकार की अभी भी 49प्रतिशत हिस्सेदारी है, वहाँ जो कुछ चल रहा है वह केवल “श्रमिक शोषण” नहीं बल्कि- एक गंभीर आर्थिक अपराध, न्यायालयीय आदेशों का खुला अपमान, औद्योगिक कानूनों का खुला उल्लंघन, और श्रमिकों के मानवाधिकारों पर लगातार प्रहार है। श्री अग्रवाल ने अपने पत्र में पिछले कुछ वर्षों के उन घटनाक्रमों को विस्तार से रखा है जिनसे स्पष्ट होता है कि बालको प्रबंधन ने कानून, संवैधानिक व्यवस्था तथा न्यायपालिका को जानबूझकर हानि पहुँचाई है।
1. स्थायी आदेश में जालसाजी-श्रमिकों के स्थायीकरण अधिकार की समाप्ति – मूल स्थायी आदेश जो श्रम विभाग और यूनियन की संयुक्त स्वीकृति से लागू हुए थे, स्पष्ट कहते हैं कि- ➡ 6 माह बिना अवकाश सेवा करने वाला प्रत्येक श्रमिक स्वतः “स्थायी श्रेणी” में आता है। लेकिन बालको प्रबंधन ने-अवैध संशोधन, अनेक प्रावधानों में कटौती कर श्रमिकों के स्थायीकरण अधिकार को पूरी तरह समाप्त कर दिया। यह औद्योगिक नियोजन संबंध स्थायी आदेष एक्ट का स्पष्ट उल्लंघन है।
2. अदालत को गुमराह करने के लिए फर्जी दस्तावेज-गंभीर आर्थिक अपराध – श्रमिकों द्वारा प्रस्तुत मूल स्थायी आदेश के सत्यापन की मांग होने पर बालको प्रबंधन ने- फर्जी स्थायी आदेश, काटछाँट किए गए दस्तावेज, तथा न्यायालय को भ्रमित करने वाले कागजात सेशन कोर्ट में प्रस्तुत किए। न्यायालय ने इसे गंभीर अपराध मानते हुए बालको प्रबंधन के विरुद्ध- आईपीसी की धारा 420, 467, 468, 471 के तहत कार्रवाई का आदेश दिया।




3. बालको ने उच्च न्यायालय में सेशन कोर्ट के आदेश के विरूद्ध दायर याचिका वापस लिया-सत्यता उजागर। बालको ने श्रमिकों को स्थायी होने से रोकने हेतु उच्च न्यायालय में याचिका लगाई। ➡ उच्च न्यायालय ने याचिका को स्वीकार्य योग्य नहीं पाया और खारिज होने के भय से बालको ने याचिका वापस ले लिया जो स्वयं इस बात का प्रमाण है कि-श्रमिकों द्वारा दी गई मूल स्थायी आदेश की प्रति वैध थीं और बालको द्वारा प्रस्तुत स्थायी आदेश की प्रति संशोधित, अवैध व मनगढ़ंत। इसके बावजूद बालको आज भी उन्हीं फर्जी स्थायी आदेष का उपयोग जारी रखा है।
4. न्यायालय आदेशों की अवमानना-बालको में अवैध समानांतर प्रशासन – पूर्व मंत्री ने कहा कि बालको प्रबंधन- श्रम विभाग, सेशन कोर्ट और उच्च न्यायालय, तीनों के आदेशों और टिप्पणियों को नजरअंदाज कर लगातार वही अवैध प्रशासनिक व्यवस्था चलाता रहा है। यह न केवल न्यायालय की अवमानना है, बल्कि भारत की औद्योगिक प्रशासनिक संरचना को खुली चुनौती है।
5. कंपनी सेक्रेटरी का फरार होना-दंडनीय अपराध – गिरफ्तारी वारंट जारी होने के बाद भी बालको का कंपनी सचिव-➡ कानूनी प्रक्रिया से बचने हेतु फरार है, जो स्वयं में एक दंडनीय कृत्य है।
6. श्रमिकों के मानवाधिकारों का निरंतर उल्लंघन – पूर्व मंत्री ने कहा कि बालको द्वारा- 6 माह की सेवा पूर्ण करने वाले श्रमिकों का स्थायीकरण रोकना, उन्हें असुरक्षा और अनिश्चितता में धकेलना, न्यायालय आदेशों का पालन न करना- ये सब अन्तर्राष्ट्रीय श्रम संगठन द्वारा श्रमिकों के हित रक्षा हेतु बनाए गए कनूनों, मानवाधिकार अधिनियम तथा संविधान के अनुच्छेद 21 का गंभीर उल्लंघन है।
पूर्व मंत्री की प्रमुख माँगें – जयसिंह अग्रवाल ने प्रधानमंत्री एवं केंद्रीय श्रम मंत्री से निम्न कार्रवाइयों की तत्काल मांग की-
1. बालको प्रबंधन के विरुद्ध संयुक्त उच्चस्तरीय जांच (सीबीआई,़ ईडी, श्रम मंत्रालय एवं कार्पोरेट अफेयर्स मंत्रालय) के जरिए करवाई जाए।
2. 6 माह की सेवा पूरी कर चुके सभी श्रमिकों का तत्काल स्थायीकरण करवाया जाए।
3. फरार कंपनी सेक्रेटरी की तुरन्त गिरफ्तारी।
4. बालको प्रबंधन पर आईपीसी की धारा 420, 467, 468, 471 के तहत आपराधिक प्रकरण दर्ज करना
5. मानवाधिकार आयोग द्वारा स्वतः संज्ञान लेकर श्रमिकों के भविष्य की सुरक्षा सुनिश्चित करना
निष्कर्ष: पूर्व मंत्री अग्रवाल ने कहा कि बालको में श्रमिक शोषण केवल एक कंपनी का मामला नहीं है, बल्कि- ➡ भारत की न्यायिक प्रतिष्ठा, ➡ औद्योगिक कानून, ➡ श्रमिक अधिकार, ➡ और मानवाधिकारों की सुरक्षा का राष्ट्रीय प्रश्न है। उन्होंने केंद्र सरकार से आग्रह किया है कि इस मामले में कठोर, त्वरित और निष्पक्ष कार्रवाई कर देश के श्रमिकों के अधिकारों में भरोसा पुनर्स्थापित किया जाए।
