पूर्व मंत्री जयसिंह का खौफ बनाम वर्तमान मंत्री लखनलाल की चुप्पी– BALCO ने 2 महीने के लिए ठप किया बेदखली अभियान!

06 Sep 2025 कोरबा: BALCO प्रबंधन द्वारा अपने ही पूर्व कर्मचारियों को घर से निकाले जाने की प्रक्रिया पर अचानक 2 महीने के लिए विराम लगा दिया गया है। यह फैसला अब केवल एक प्रशासनिक निर्णय नहीं रह गया, बल्कि इसके पीछे की राजनीतिक ताकत और छवि की भी चर्चा हो रही है।

दो नाम सामने आते हैं –पूर्व मंत्री जयसिंह अग्रवाल, जिन्होंने सीधे मुख्यमंत्री को पत्र लिखकर इस कार्यवाही को अमानवीय बताया, और वर्तमान मंत्री लखनलाल देवांगन, जिनके रहते हुए BJP मंडल को BALCO टाउनशिप के तालाबंदी की चेतावनी देनी पड़ी।

अब सवाल यह नहीं कि फैसला क्यों हुआ, सवाल यह है कि किसकी वजह से हुआ?

जयसिंह अग्रवाल: नाम ही काफी है

जयसिंह अग्रवाल सिर्फ एक नेता नहीं, बल्कि कोरबा की राजनीति में वो नाम हैं जो सत्ता में रहें या नहीं, सिस्टम को हिलाने की ताकत रखते हैं।

BALCO प्रकरण में भी उन्होंने न कोई प्रेस कॉन्फ्रेंस की, न कोई सड़कों पर प्रदर्शन — बस सीधा वार, मुख्यमंत्री को पत्र। और फिर, BALCO प्रबंधन ने ड्राइव पर ब्रेक लगा दिया।

स्थानीय लोगों की मानें तो – जयसिंह उन नेताओं में से हैं जिनसे गलत करने वाला कोई भी — चाहे प्रशासन में हो या उद्योग में — बच नहीं सकता। BALCO के प्रबंधन को भी ये बात अच्छे से पता है।

उनकी छवि एक ऐसे निर्भीक नेता की है जो “जो सही है, उसी के साथ खड़े होते हैं”, और उनकी बात को नजरअंदाज करना आसान नहीं।

BJP मंडल की चेतावनी – क्यों आई जरूरत?

इसी मामले में भाजपा का स्थानीय मंडल भी एक्टिव हुआ, और BALCO टाउनशिप कि गेटबंदी की चेतावनी दी। लेकिन सबसे बड़ा सवाल यह है:

जब कोरबा से खुद भाजपा के मंत्री है — लखनलाल देवांगन — तो मंडल को तालाबंदी जैसी सख्त चेतावनी क्यों देनी पड़ी?

क्या यह मान लिया जाए कि मंत्री की भूमिका इतनी सीमित हो गई है कि अब भाजपा के कार्यकर्ताओं को सड़कों पर उतरने की बात करनी पड़ रही है?

जनता के बीच ये चर्चा अब खुलकर होने लगी है कि:

क्या मंत्री लखन लाल देवांगन का प्रभाव कमजोर हो चुका है ?

और अगर सब कुछ नियंत्रण में होता, तो मंडल को तालाबंदी का अल्टीमेटम क्यों देना पड़ता?

निष्कर्ष:

BALCO के इस फैसले ने कोरबा की राजनीति में कई नए सवाल खड़े कर दिए हैं।

एक तरफ, एक पूर्व मंत्री, जिनके पास न पद है न सत्ता, लेकिन उनकी छवि ही काफी है। दूसरी तरफ, मौजूदा मंत्री, जिनके रहते उनके ही संगठन को चेतावनी का सहारा लेना पड़ रहा है।

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