जीएसटी दरों में आंशिक कमी बनाम जनता को बरगलाने का प्रयास: जयसिंह अग्रवाल

जीएसटी कटौती से राहत मतलब पहले से की जा रही वसूली में कटौती।
खरबूजा चाहे चाकू पर गिरे या फिर चाकू खरबूजे पर-परिणाम खरबूजा ही कटेगा।

24 Sep 2024 कोरबा: पूर्व मंत्री जयसिंह अग्रवाल ने कहा कि केन्द्र की भाजपा सरकार ने 1 जुलाई 2017 से “गब्बर सिंह टैक्स” (जीएसटी) लागू कर आम जनता और छोटे व्यापारियों पर लगातार आर्थिक बोझ डाला। वर्षों तक ऊँची दरों पर कर वसूले गए और अब कुछ वस्तुओं पर आंशिक कमी कर इसे “बड़ी राहत” बताना जनता के विवेक को चुनौती देना है।
उन्होंने कहा कि यह राहत नहीं, बल्कि पहले से वसूली जा रही राशि में थोड़ी कटौती मात्र है। सरकार अपने प्रचार तंत्रों के माध्यम से जनता को गुमराह कर रही है और अपनी ही पीठ थपथपा रही है।


मुख्य आपत्तियाँ
• जनता से वर्षों तक ऊँचे कर वसूलकर उनकी गाढ़ी कमाई पर चोट की गई।
• आंशिक कमी को उपलब्धि बताना भ्रामक है – यह केवल “वसूली में कमी” है।
• चुनिंदा वस्तुओं की दरें घटाकर वाहवाही लूटी जा रही है, जबकि अन्य क्षेत्रों पर बोझ जस का तस है।
• बार-बार बदलती दरों से छोटे व मध्यम व्यापारी अस्थिरता और घाटे का सामना कर रहे हैं।
• वसूले गए कर राजस्व का पारदर्शी और जनकल्याणकारी उपयोग दिखाई नहीं देता।

क्षेत्रीय प्रभाव:
• दवाइयाँः कुछ जीवनरक्षक दवाएँ टैक्स-फ्री की गईं, अन्य पर 5 प्रतिशत जीएसटी है। छोटे मेडिकल स्टोर टैक्स क्रेडिट न मिलने से परेशान।

स्टेशनरीः
• पेंसिल, पेन, कॉपी आदि पर राहत, लेकिन अन्य स्कूल आइटम्स अब भी 5 प्रतिशत जीएसटी के दायरे में हैं।
• ऑटोमोबाइलः छोटी गाड़ियाँ व टू-व्हीलर थोड़े सस्ते, बड़ी कारें व हाई-एंड बाइक महंगी। डीलरों को नकदी संकट।

निर्माण क्षेत्रः
• सिमेंट पर जीएसटी दर 28 प्रतिशत से घटाकर 18 प्रतिशत की गई जिससे प्रति बोरी 25 से 30 रू. प्रति बोरी कीमतों में कमी आती लेकिन कंपनियों ने तुरंत प्रति बोरी ₹30 बढ़ा दिए। इस प्रकार जीएसटी में कटौती का वास्तविक लाभ जनता को नहीं मिला।
• सरकार क्या यह सुनिश्चित करना चाहेगी की जब तक भाजपा सरकार सत्ता में है, सिमेंट की कीमतों में कोई बढ़ोत्तरी नहीं की जाएगी।

सरकार से अपेक्षाएँ:
• जीएसटी ढांचे की व्यापक समीक्षा हो।
• आवश्यक वस्तुओं पर न्यूनतम कर लगाया जाए।
• छोटे और मध्यम व्यापारियों को राहत दी जाए।
• पुराने स्टॉक पर टैक्स क्रेडिट की सुविधा सुनिश्चित की जाए।
• राज्यों की राजस्व हानि की भरपाई केंद्र सरकार करे।

पत्र में जयसिंह अग्रवाल ने लिखा है कि भाजपा सरकार जनता से मनमाने करों द्वारा धन वसूल कर अब मामूली राहत दिखाकर वाहवाही लूट रही है। यहां कहना उचित होगा कि खजबूजा चाहे चाकू पर गिरे या चाकू खरबूजे पर, अंततः कटना तो खरबूजे को ही है। यह स्थायी समाधान नहीं है, जनता को बरगलाने की कुत्सित योजना है।
उन्होंने यह भी लिखा कि “जनता को उनकी मेहनत की कमाई का सम्मान चाहिए, न कि भ्रामक प्रचार। सरकार को कर नीति पारदर्शी, संतुलित और जनहितैषी बनानी चाहिए।”

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