भाजपा सरकार में ही पूर्व गृहमंत्री ननकीराम कंवर का विद्रोह, रायपुर में पुलिस ने किया नजरबंद

04 Oct 2025 रायपुर: छत्तीसगढ़ की राजनीति में शनिवार का दिन सियासी उथल-पुथल से भरा रहा। भाजपा की अपनी ही सरकार में वरिष्ठ आदिवासी नेता और पूर्व गृहमंत्री ननकीराम कंवर ने मोर्चा खोलते हुए कोरबा कलेक्टर अजीत वसंत को हटाने की मांग पर राजधानी रायपुर में बड़ा प्रदर्शन करने का ऐलान कर दिया। मुख्यमंत्री निवास के बाहर धरना देने से पहले ही पुलिस ने उन्हें एम्स के पास स्थित गहोई भवन में नजरबंद कर लिया। यह घटनाक्रम ऐसे समय में हुआ है, जब देश के गृहमंत्री अमित शाह भी छत्तीसगढ़ के दौरे पर मौजूद हैं। एक ओर भाजपा सत्ता में है और दूसरी ओर उसके ही पूर्व गृहमंत्री और वरिष्ठ आदिवासी नेता का विरोध में उतरना राजनीतिक हलचल का बड़ा कारण बन गया है।

क्या है मामला

ननकीराम कंवर पिछले कई महीनों से कोरबा कलेक्टर अजीत वसंत को हटाने की मांग कर रहे हैं। उनका आरोप है कि जिले में प्रशासनिक अराजकता फैली हुई है, योजनाओं की अनदेखी हो रही है और जनता के कार्यों को लेकर कलेक्टर गंभीर नहीं हैं। कंवर का कहना है कि उन्होंने कलेक्टर के खिलाफ 14 बिंदुओं पर गंभीर शिकायतें दर्ज कराई हैं, लेकिन शासन ने अब तक कोई ठोस कार्रवाई नहीं की। यही कारण है कि उन्होंने मुख्यमंत्री निवास के सामने धरना देने का ऐलान किया। कंवर ने साफ कहा कि अब चुप बैठने का वक्त नहीं है और यदि जनता के सवालों की अनदेखी जारी रही तो वे सड़क पर उतरने को मजबूर होंगे।

रायपुर में पुलिस की घेराबंदी

कंवर जैसे ही रायपुर पहुंचे, राजधानी में हलचल बढ़ गई। शुक्रवार देर शाम वे रायपुर आए और सुबह धरने के लिए सीएम हाउस की ओर बढ़ने की तैयारी कर रहे थे। लेकिन पुलिस ने उन्हें बीच में ही रोक लिया। एम्स के पास स्थित गहोई भवन में उन्हें रोककर चारों ओर पुलिस बल तैनात कर दिया गया। मौके पर एसडीएम, वरिष्ठ अधिकारी और बड़ी संख्या में पुलिस जवान मौजूद रहे। प्रशासन ने एहतियात के तौर पर यह कदम उठाया ताकि मुख्यमंत्री निवास के बाहर कोई अप्रिय स्थिति न बने। इस दौरान कंवर ने मीडिया से चर्चा में कहा कि अगर यही रवैया रहा तो अगली बार भाजपा की सरकार नहीं बनेगी। उन्होंने आरोप लगाया कि उनकी शिकायतों को गंभीरता से नहीं लिया जा रहा और केवल दिखावा किया जा रहा है।

भाजपा नेताओं और परिवार की कोशिश

पूर्व गृहमंत्री की इस नाराजगी से भाजपा के भीतर भी खलबली मच गई। कई दिग्गज नेता और कार्यकर्ता मौके पर पहुंचे और कंवर को मनाने की कोशिश की। उनका मानना था कि संगठन के भीतर रहकर मुद्दों को उठाना चाहिए, न कि सार्वजनिक धरना देकर टकराव का रास्ता अपनाना चाहिए। इसी बीच ननकीराम कंवर के बेटे संदीप कंवर भी मौके पर पहुंचे और अपने पिता को समझाने की कोशिश की। उन्होंने उनसे आग्रह किया कि वे पार्टी मंच पर अपनी बात रखें। लेकिन कंवर ने स्पष्ट कर दिया कि जब जनता के सवालों की अनदेखी हो रही है, तो वे पीछे नहीं हटेंगे। सरकार और प्रशासन की प्रतिक्रियाकंवर की चेतावनी और नाराजगी को देखते हुए राज्य शासन भी सक्रिय हुआ। बताया जा रहा है कि शासन ने बिलासपुर संभागायुक्त सुनील जैन को जांच का जिम्मा सौंपा है।हालांकि मीडिया से बातचीत में सुनील जैन ने कहा कि उन्हें अभी तक लिखित आदेश प्राप्त नहीं हुए हैं। जैसे ही आदेश मिलेंगे, वे जांच कर रिपोर्ट सौंप देंगे। वहीं दूसरी ओर सूत्रों का कहना है कि शासन ने जांच के आदेश जारी कर दिए हैं और रिपोर्ट आने के बाद नियमानुसार कार्रवाई की जाएगी।

अमित शाह के दौरे के बीच गरमाई राजनीति

कंवर का यह आंदोलन उस समय हुआ है जब केंद्रीय गृहमंत्री अमित शाह रायपुर और बस्तर दौरे पर हैं। ऐसे मौके पर भाजपा सरकार के खिलाफ उसके ही वरिष्ठ आदिवासी नेता का विरोध खुलकर सामने आना पार्टी के लिए असहज स्थिति पैदा कर रहा है। भाजपा नेतृत्व जहां अमित शाह के दौरे को लेकर रणनीतिक बैठकें और कार्यक्रम कर रहा है, वहीं दूसरी ओर राजधानी में पार्टी का ही एक बड़ा नेता धरना देने की तैयारी में नजरबंद किया गया। यह विरोध न केवल संगठन के भीतर असंतोष को उजागर करता है, बल्कि आने वाले समय में पार्टी की छवि और समीकरणों पर असर डाल सकता है। आदिवासी राजनीति पर असरननकीराम कंवर का कद केवल एक पूर्व गृहमंत्री तक सीमित नहीं है, बल्कि वे आदिवासी राजनीति के मजबूत स्तंभ माने जाते हैं। लंबे समय से वे भाजपा के लिए आदिवासी समाज में एक बड़ा चेहरा रहे हैं।उनका इस तरह खुलकर अपनी ही सरकार के खिलाफ खड़ा होना आदिवासी समाज में भी संदेश देता है। यह भाजपा के लिए चुनौतीपूर्ण स्थिति हो सकती है क्योंकि आदिवासी मतदाता छत्तीसगढ़ की राजनीति में निर्णायक भूमिका निभाते हैं।

भाजपा के भीतर मतभेद के संकेत

कंवर का यह विरोध भाजपा सरकार के भीतर बढ़ते मतभेद की ओर भी इशारा करता है। आमतौर पर सत्ता में रहते हुए नेता संगठनात्मक मंच पर अपनी असहमति जताते हैं, लेकिन कंवर ने सीधा धरना और विरोध का रास्ता चुना। भाजपा के कार्यकर्ताओं और नेताओं के लिए यह चिंता का विषय है क्योंकि इससे जनता के बीच यह संदेश जा सकता है कि सरकार अपने ही नेताओं की बात नहीं सुन रही। फिलहाल ननकीराम कंवर एम्स के पास नजरबंद हैं और प्रशासन उन पर लगातार निगरानी रख रहा है। सरकार ने जांच के आदेश जारी करने की बात कही है, लेकिन कंवर अपनी मांग पर अडिग हैं। देखना होगा कि आने वाले दिनों में सरकार इस विवाद को कैसे सुलझाती है और क्या कलेक्टर अजीत वसंत को हटाया जाता है या नहीं। यह मामला केवल प्रशासनिक नहीं बल्कि राजनीतिक रूप से भी बेहद अहम हो गया है। छत्तीसगढ़ की राजनीति में यह घटनाक्रम भाजपा सरकार के लिए एक बड़ा संकेत है। सत्ता में रहते हुए भी यदि उसका ही पूर्व गृहमंत्री और वरिष्ठ आदिवासी नेता सड़कों पर उतरने को मजबूर हो रहा है तो यह न केवल प्रशासनिक लापरवाही का मामला है, बल्कि पार्टी के भीतर असंतोष का भी सबूत है। कंवर का यह विद्रोह आने वाले समय में प्रदेश की राजनीति को नई दिशा दे सकता है। भाजपा को न केवल संगठनात्मक स्तर पर बल्कि प्रशासनिक मोर्चे पर भी इसे गंभीरता से लेना होगा, वरना इसका असर सीधे 2028 के चुनावी समीकरणों पर पड़ सकता है।

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *